किसी कार्य को शीघ्रता से आरंभ करना हो अथवा यात्रा पर जाना हो और कोई मुहूर्त नहीं निकल रहा हो तो उसके लिए चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य करना या यात्रा करना उत्तम होता है।
दिन का चौघड़िया | रात्रि का चौघड़िया | |||
06:20 - 07:48
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चर
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रोग
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07:48 - 09:15
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लाभ
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काल
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09:15 - 10:42
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अमृत
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लाभ
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वार वेला
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काल रात्रि
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10:42 - 12:09
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काल
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उद्वेग
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काल वेला
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12:09 - 13:36
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शुभ
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शुभ
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13:36 - 15:03
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रोग
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अमृत
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15:03 - 16:30
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उद्वेग
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चर
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16:30 - 17:57
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चर
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रोग
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नोट : * अगला दिन
शुभ, लाभ और अमृत को शुभ चौघड़िया माना जाता है।
उद्वेग, रोग और काल अशुभ चौघड़िया है।
चर को समान्य चौघड़िया माना गया है।
जानिए अपना कल जिससे बेहतर हो आपका हर पल।