दिवाली का त्यौहार हमारी मनोकामनाओं की पूर्ती का त्यौहार है। इस त्यौहार में हम माता लक्ष्मी जी से अपनी हर मनोकामना पूर्ण होने के लिए बड़ी ही श्रद्धा से प्रार्थना है। माता लक्ष्मी जी इस पावन त्यौहार में हमारी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। दिवाली का त्यौहार एक दिन का त्यौहार नही होता है, यह भरत के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार धनतेरस से लेकर भैयादूज तक चलता है। इस त्यौहार की शुरुआत का पहला दिन धनतेरस, दूसरा रुप चौदस ( काली चौदस, नरक चौदस), फिर आती है दीपावली जो मुख्य त्यौहार होता है। इसके बाद आती है अन्नकूट पूजा (गौवर्धन पूजा) और इस त्यौहार का अंतिम दिन होता है भैयादूज और इसी के साथ यह त्यौहार संपन्न हो जाता है। दिवाली का त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक माह की अमावस्या की तिथि का मनाया जाता है।
अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार इस वर्ष दिवाली 27 अक्टूबर, रविवार के दिन पूरे देश के संपूर्ण भाग में बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जायेगी। यह त्यौहार हमारे घरों के बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक बड़ी ही प्रसन्नता के साथ मनाते है। दिवाली आने के कुछ दिनों पूर्व सभी लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते है। इस साफ सफाई करने के पीछे ये मान्यता होती है, कि माता लक्ष्मी का उसी घर में आगमन होता है, जिसमें साफ-सफाई होती है।
दिवाली के दिन मुख्य रुप से माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर का पूजन बड़े ही विधि विधान से होता है। माता लक्ष्मी का पूजन करने के बाद हम उनसे बुद्धि और समृद्धि का आर्शीवाद मांगते है। दिवाली का त्यौहार अंधकार को दूर करने का त्यौहार है, इस दिन हम अपने घर के हर द्वार पर दीपक रखते है, ताकि घर के किसी भी कोने में इस दिन अंधेरा न हो, और हमारे घर में जहां भी माता लक्ष्मी का भ्रमण हो सभी जगह प्रकाशमय हो। इस त्यौहार में प्रकाश खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। जैसे हम अपने घरों में प्रकाश करते है ठीक उसी प्रकार हमारे मन मंदिर में प्रकाश हो। लक्ष्मी पूजन के पूर्व घर के मुख्य द्वार पर माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए खूब सारी रोशनी करना बहुत ही आवश्यक है। ऐसा करने से हमारे जीवन में चल रही आर्थिक परेशानियां स्वतः ही दूर हो जाती है।
लक्ष्मी पूजन की विधि - सभी पूजन की तरह लक्ष्मी पूजन भी होता है, परंतु कुछ पूजनों से यह कुछ अलह होता है। सर्व प्रथम लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण सामग्री एक थाली में इकात्रित कर लें। एक बात का विशेष ध्यान रखे जो आपके घर की परंपराए है लक्ष्मी पूजन पर उन्हे जरुर आपनाएं। यह परंपराए हर घर और परिवार की अलग-अलग हो सकती है, परंतु इनका पालन अवश्य करें। ऐसा करने से लक्ष्मी जी के साथ-साथ हमारे पितरों का आर्शीवाद सदैव हमारे ऊपर बना रहता है। लक्ष्मी पूजन पर लक्ष्मी, गणेश और कुबेर जी की सोने, चाँदी या फिर अपने समर्थ के अनुसार मूर्तियों को स्थापित कर अपने घर के गहनों, आभूषणों एवं घर की नगदी को साथ साथ रखकर सभी का विधि अनुसार विधि करें। प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन बहुत ही अच्छा माना है। इस मुहूर्त में पूजन करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वृषभ लग्न भी लक्ष्मी पूजन के लिए अति उत्तम माना गया है। इस लग्न में पूजन करने से घर में धन-धान्य की संपन्नता हमेशा बनी रहती है।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त -
• शाम 6:42 से 8:11 तक
• प्रदोष काल- 17:36 से 8:11 (लक्ष्मी पूजन का सबसे अच्छा समय)
• वृषभ काल- शाम 6:42 से 8:37