छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलने वाला पर्व होता है। इस पर्व में छठी माता की पूजा आराधना की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए ही उनकी पूजा आर्चना की जाती है। छठ पूजा करने के पीछे मान्यता है, कि छठी माता अपने भक्तों को संतान सुख का वरदान देती है और उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। प्रतिवर्ष छठ पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन बिना पानी पीए माता का व्रत किया जाता है। वर्ष 2019 में छठ पूज का पर्व 2 नवम्बर के दिन मनाया जायेगा। छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलने वाला पर्व होता है। छठ पूजा के दिन पहले पर्व का नाम होता है नहाय खाय इस दिन प्रातःकाल स्नान करके भोजन तैयार करके सर्व प्रथम व्रती भोजन को ग्रहण करता है इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते है।
छठ पूजा का दूसरा दिन होता है, खरना इस दिन व्रती पूरा दिन व्रत करके शाम के समय भोजन ग्रहण करता है। व्रती अपने भोजन में केवल चावल और गुड़ की खीर बनाकर उसे भोजन के रुप में लेता है। छठ पूजा का तीसरे दिन छठ माता की उपासना का मुख्य दिन होता है। इस दिन व्रती को पूरा दिन निर्जला ही रहना पड़ता है अर्थात बिना पानी के पूरे दिन रहना पड़ता है। इसी दिन पूजा का पूरा प्रसाद तैयार किया जाता है। प्रसाद तैयार होने के बाद शाम के समय किसी नदी या सरोबर (तालाब) में जाकर पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते है और रात्रि जागरण का भी विधान होता है। रात्रि जागरण में छठी माता के गीतों का गायन किया जाता है।
छठ पूजा के अंतिम अर्थात चौथे दिन शुक्ल पक्ष की सप्तमी को प्रातःकाल सरोवर में के जल में खड़े होकर उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर और छठी माता की सात परिक्रमा करने के बाद व्रत को खोला जाता है। व्रत खोलने के पूर्व एक दूसरे लोगों में प्रसाद का वितरण भी किया जाता है। माता छठी से पुत्र कामना और पुत्र के अच्छे भविष्य के लिए प्रार्थना की जाती है।
छठ पर्व की शुरुआत - छठ पर्व की शुरुआत महाभारत के काल से हुई थी। यह प्रसंग उस समय का है जब पांडव अपना सब कुछ जुये के खेल में हार चुके थे। तब पांडवों की पत्नी द्रोपदी ने छठ माता का व्रत किया था। व्रत करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हुई और उनका राजपाठ भी वापस मिल गया था। तभी से इस व्रत की लोकपरंपरा के अनुसार इस व्रत को रखा जाने लगा । भगवान सूर्य की बहन छठी मइया है। तो दोनो एक दूसरे के भाई बहन हुए इसी लिए इस व्रत में सूर्य भगवान को जल देना बहुत ही अनिवार्य माना जाता है।