हिंदू धर्मशास्त्र में कार्तिक माह का विशेष महत्व है। बारह माहों में यह माह सबसे पवित्र माह माना जाता है। हिंदू संस्कृति के अनुसार कार्तिक माह,कर्तिक व्रत,कार्तिक पूजा,कार्तिक स्नान का विशेष महत्व होता है। इस माह को हिंदू परंपरा के अनुसार पवित्र महीना भी माना जाता है। यह पवित्र माह शरद पूर्णिमा से शुरू होता है। और कार्तिक पूर्णिमा तक रहता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने पहला अवतार लिया था। इस वर्ष कार्तिक पुर्णिमा का विशेष स्नान 4 नवंबर को है कार्तिक पुर्णिमा के विशेष पर्व पर लोग पूजा तथा दीप जलाकर पूरे विधि विधान से गंगा के तट पर श्रद्धालुओं के बीच स्नान कर अपने कर्मो द्वारा किए गये सारे पाप धो कर दूर करते हैं। तथा कार्तिक माह में दान और स्नान का सर्वाधिक महत्व होता है। इस महीने कन्याएँ व महिलाएं सूर्योदय से पूर्व स्नान करके कीर्तन, दीपदान तथा तुलसी पूजा करती हैं। कहा जाता है कि कार्तिक महीने की पुर्णिमा को स्नान करने का धार्मिक और शरीरिक कष्टों का विशेष महत्व है। पवित्र तीर्थों, तालाब, कुंआ या घाट इत्यादि पर जा कर सभी श्रद्धालु गण स्नान करते हैं। कार्तिक मास में स्नान पूरे माह भर चलता रहता है। और कार्तिक माह पर्व का अंतिम तथा विशेष दिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन होता है इस दिन गंगा स्नान कर पूरे महीने की पूजा का समापन होता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कलियुग में कार्तिक माह में किए गए स्नान से मोक्ष की प्राप्ति मिलती है। इस माह में गरीबों, और ब्रह्राणों को विशेष दान किया जाता है।इस महीने में तुलसी दान, अन्न दान, अनाज दान, और आंवले दान का भी महत्व प्रचलित है। धार्मिक तथा पुराणों में कार्तिक पुर्णिमा का विशेष वर्णन मिलता है। क्योंकि इस दिन ही भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसके बाद ही भगवान शिव त्रिपुरारी कहलाए थे। कथा के अनुसार राक्षस त्रिपुरासुर ने तीनों लोकों पर आतंक मचा रखा था। जब शिव ने इस असुर का वध किया तब सभी देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी। इसलिए इस दिन लोग पूजा पूरे विधि विधान से गंगा के तट पर श्रद्धालुओं के बीच स्नान कर अपने कर्मो द्वारा किए गये सारे बुरे पाप धो कर दूर कर अपने घरों में दीपजला कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं।