बच्चे
विवाह पति-पत्नी के बीच का एक ऐसा धर्म संबंध जो कर्तव्य और पवित्रता पर आधारित होता है। यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि शारीरिक,
मानसिक और आध्यात्मिक स्तरों पर स्त्री और पुरुष दोनों ही अधूरे होते हैं। स्त्री और पुरुष के मिलन से ही ये अधूरापन दूर होता है। संतुष्टि
यानी एक दूसरे के साथ रहते हुए समय और परिस्थिति के अनुसार जो भी सुख-सुविधा मिल जाए, उसी में संतोष करना। संयम यानी समय-समय
पर उठने वाली मानसिक उत्तेजनाओं जैसे- कामवासना, गुस्सा, लालच, अहंकार तथा मोह आदि पर नियंत्रण रखना। वैवाहिक जीवन में संतान का भी
महत्वपूर्ण स्थान होता है। पति-पत्नी के बीच के संबंधों को मधुर और मजबूत बनाने में बच्चों की भी भूमिका रहती है और अगर बच्चे खुश, स्वस्थ
हो तो माता पिता और घर परिवार के सभी सदस्य खुश रहते है पर कुछ कारणों से उनके साथ कोई दुर्घटना होती है, स्वस्थ और शिक्षा में कोई
परेशानियां आना भी उनको और उनके माता पिता को परेशान कर देता है तथा उनके आने वाले भविष्य के लिए चिंतित कर देता है।
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