किसी कार्य को शीघ्रता से आरंभ करना हो अथवा यात्रा पर जाना हो और कोई मुहूर्त नहीं निकल रहा हो तो उसके लिए चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य करना या यात्रा करना उत्तम होता है।
दिन का चौघड़िया | रात्रि का चौघड़िया | |||
06:25 - 07:50 | काल | 17:49 - 19:23 | लाभ | |
काल वेला | काल रात्रि | |||
07:50 - 09:16 | शुभ | 19:23 - 20:58 | उद्वेग | |
09:16 - 10:41 | रोग | 20:58 - 22:32 | शुभ | |
10:41 - 12:07 | उद्वेग | 22:32 - 24:07* | अमृत | |
12:07 - 13:32 | चर | 24:07* - 25:42* | चर | |
13:32 - 14:58 | लाभ | 25:42* - 27:16* | रोग | |
वार वेला | ||||
14:58 - 16:23 | अमृत | 27:16* - 28:51* | काल | |
16:23 - 17:49 | काल | 28:51* - 30:26* | लाभ | |
काल वेला | काल रात्रि |
नोट : * अगला दिन
शुभ, लाभ और अमृत को शुभ चौघड़िया माना जाता है।
उद्वेग, रोग और काल अशुभ चौघड़िया है।
चर को समान्य चौघड़िया माना गया है।
जानिए अपना कल जिससे बेहतर हो आपका हर पल।